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Showing posts from February, 2022

विधायक बना तो लड़कियों को देंगे स्कूटी----सोनू सिंह

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रिपोर्ट-इम्तियाज खान  इसौली विधानसभा के ग्राम पंचायत कुमासी रसहरा में प्रधान इसरार अहमद ने आयोजित की नुक्कड़ सभा  क्षेत्र का विकास ही हमारा लक्ष्य है क्षेत्र में अधूरे पड़े विकास को पूरा करेंगे गरीब मजलूमो  सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का काम करेंगे यह चुनाव आपके गांव का आपका भाई बेटा लड़ रहा है आप लोग अपने भाई को भारी बहुमत देकर इसे इस लायक बना दे किआपके बीच में रहकर आप की सेवा कर सके मेरे परिवार का चाहे बाबा रहे हो या पिताजी रहे हो अथवा माताजी रही हो और स्वयं में भी राजनीति में आकर हमेशा ही जनता की सेवा करते आ रहे हैं मेरे दोनों भाइयों के पास क्षेत्र का कोई भी नागरिक गया होगा तो खाली हाथ नहीं लौटा होगा मेरा परिवार हमेशा मदद के लिए आगे रहा है और मैं भी हमेशा आगे रह कर जनता का दुख दर्द बांट रहा हूं।  उक्त अब बातें आज इसौली विधानसभा के ग्राम पंचायत कुमासी रसहरा में आयोजित एक नुक्कड़ सभा में कही। विधानसभा 187 इसौली से बसपा प्रत्याशी यस भद्र सिंह मोनू के बड़े भाई व पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह सोनू ने क्षेत्र में प्रचार के दौरान इसौली विधानसभा के कुमासी रसहरा में पह

पुलवामा: ऐसे 'सफर' पर चले गए 40 जवान, जहां से कभी नहीं मिली घर आने की 'इजाजत'

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रिपोर्ट-इम्तियाज खान पुलवामा: ऐसे 'सफर' पर चले गए 40 जवान, जहां से कभी नहीं मिली घर आने की 'इजाजत' ऐसे हुआ था हमला तारीख 14 फरवरी...दिन गुरुवार...वक्त दोपहर 3:30 बजे...कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवान 78 गाड़ियों से अपनी पोस्ट पर जा रहे थे। अचानक उनके काफिले की बस से एक गाड़ी टकराई और भयंकर धमाका हो गया। धुआं छंटा तो सड़क पर क्षत-विक्षत शव पड़े थे। दरअसल, यह कश्मीर में जवानों पर हुआ तीन दशक का सबसे बड़ा हमला था। इसे जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था और पूरा देश सदमे में आ गया। इस हमले को महज 20 साल के आदिल अहमद डार ने अंजाम दिया था। उसने 350 किलो विस्फोटक से भरी एसयूवी को सीआरपीएफ के काफिले की एक बस से टकरा दिया।  जब उठी सबक सिखाने की मांग इस खौफनाक हमले में 40 जवान शहीद हो गए। पूरा देश जवानों की शहादत से भावुक और हमले से आक्रोशित हो गया। आतंकियों और उनके आकाओं से बदले की मांग उठने लगी। हमले के खिलाफ पूरा देश और राजनीतिक दल एकजुट हो गया। सभी एक सुर में पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों को सबक सिखाने की मांग करने लगे। पूरी दुनिया ने इस हमले की निंदा की। वहीं, स

हज़रत निज़ामुद्दीन जो सात सदियों पहले दिल्ली आए और यहीं के हो गए…

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रिपोर्ट-इम्तियाज खान इंसानियत की मिसाल भारत पर दिल्ली सल्तनत की हुकूमत थी, मंगोल लगातार भारत को लूटने का प्रयास कर रहे थे। उस समय जब चारों ओर असहिष्णुता बढ़ रही थी,इस दौरान एक संत ने दिल्ली में अपना डेरा जमाया और फिर यहीं का होकर रह गया। उसकी महफिल में हिंदू-मुस्लिमों सभी के लिए जगह थी। कोई धर्म-जाति के आधार पर जुदा न था और उसके विचारों ने समां में उदारता और सद्भाव का प्रवाह किया। यहां बात हो रही है चिश्ती सिलसिले के चौथे पीर हजरत निजामुद्दीन औलिया की। जी हां।।! वही निजामुद्दीन औलिया, जिन्होंने जलती हुई दुनिया में जैसे पानी डाला, सुकून-शांति की बात की और प्रेम का प्रसार किया। उन्होंने तमाम लोगों को बिना भेदभाव के अपनाया और गले लगाया! तो चलिए निजामुद्दीन औलिया और उनके सूफीवाद को जानने की कोशिश करते हैं> बदायूं में जन्म और… सूफी संप्रदाय या सिलसिला में सबसे मशहूर हज़रत निजामुद्दीन अपने शागिर्दों में तमाम प्रसिद्धी के कारण हज़रत शेख ख्वाजा सैयद मोहम्मद निजामुद्दीन औलिया बन गए। हजरत निजामुद्दीन का जन्म इस्लामी कैलेंडर के दूसरे ‘सफर’ महीने के आखिरी बुधवार को, 19 अक्टूबर 1238